रविवार, 2 सितंबर 2007

पानी पानी रे.......


इस देश के सारी नदियों का पानी अपना है, लेकिन प्यास नहीं बुझती ना जाने मुझे क्यूं लगता है -आकाश मेरा भर जाता है जब, कोई मेघ चुरा ले जाता है ।
हर बार उगाता हूं सूरज, खेतों को ग्रहण लग जाता है।।

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