रविवार, 2 सितंबर 2007

भोपाल - 3 दिसंबर, 1984


3 दिसंबर, १९८४ - इस तारीख़ के शुरुआती घंटों में भोपाल ने उस त्रासदी को देखा था जो सुबह होते-होते दुनिया की सबसे बड़ी और दर्दनाक दुर्घटना में तब्दील हो गया. जिसके निशान आज भी उन मासूमों और अनाजान लोगों के जेहन और शरीर पर ज़िंदा हैं, जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं था. सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस दुर्घटना में लगभग तीन हज़ार जानें गईं. हज़ारों लोग स्थायी अपंगता और गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए. इन बीस बरसों में कोई 15 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है और सिलसिला जारी है.

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